सागवान की खेती कैसे करे, अद्वितीय जानकारी और उपयोगी सुझाव

सागवान जिसे साक, सागौन या फिर अंग्रेजी मे इसे Teak भी कहते है यह एक एसा पेड़ है जिसका इस्तेमाल सामान्य तौर पर तरह तरह की सजावट की वस्तुए, या फर्निचर बनाने मे किया जाता है, सागवान की खेती करके लाखों का मुनाफा कमाने का अवसर प्राप्त करे और यह बहुत लंबे समय तक टीके रहने वाली लकड़ी होती है इसका उपयोग किस किस जगह किया जाता है इसके बारे मे हम सम्पूर्ण जानकारी के बारे मे बात करेंगे कुछ तथ्यों को साथ लेके चलेंगे जिनसे हमे मदद मिलेगी।

सागवान (Teak) का वृक्ष कैसा होता है

यह बहुत ही मूल्यवान लकड़ी वाला पेड़ है यह 80 से 100 फुट लंबा होता है इसकी टहनीया एवं तना भूरे रंग की होती है इसके पत्ते बहुत ही बड़े होते है जो की आमतोर पर 20 सेंटीमीटेर से 45 सेंटीमीटर तक होते हैऔर इसकी जो मुख्य शाखा या तना एकदम सीधी होती है, यह लकड़ी की गुणवत्ता के लिए जाना जाता है, इसे समय से पहले काटा नहीं जाए तो सागवान (Teak) के पेड़ का जीवनकाल 100 साल से 150 साल तक का होता है ओर काफी मजबूत और बड़े भारी रूप मे विकसित हो जाता है।

इसलिए इसका वनस्पति की प्रजाति मे बहुत बड़ा योगदान है।सागवान (Teak) एक बहुमूल्य वृक्ष है जिसका प्रकर्ति मे बहुत विशेष स्थान है इसका सबसे ज्यादा उपयोग व्यापारिक दृष्टिकोण के रूप मे करते है इनकी लकड़ियों का आयात निर्यात बहुत ज्यादा मात्रा मे किया जाता है इसलिए भारत के कुछ राज्यों मे इसकी खेती भी की जाती है।

साक (सागवान) की खेती कैसे करे

सागौन के पौधों को प्रयोगशाला मे टिशू कल्चर तकनीक द्वारा भी तैयार किया जा रहा है, इस तकनीक से तैयार किया गया पौधा रोग एवं किटाणुओ से मुक्त होता है और कम समय मे विकसित और काफी मिलती जुलती समानता रहती है, अगर आप खेती कर रहे है तो इस बात का ध्यान दे की इनके पौधे से पौधे की दूरी लगभग 8 से 10 फुट दूर होनी ही चाहिएइनको तैयार होने मे तकरीबन 10 साल से 15 साल तक की अवधि का समय लगता है।

इसको हर तरह की मिट्टी मे लगाया जा सकता है और खेती के अनुसार वर्षा ऋतु के अलावा दूसरे मौसम से तीन से चार बार सिंचाई करने की आवश्यकता होती है और इसका देखभाल तकरीबन 3 वर्ष तक करना जरूरी है उसके बाद आप इसे प्रकर्ति के भरोसे छोड़ सकते है। सागवान (Teak) से हम सब परिचित तो है और जिन्हे नहीं पता उन्हे बता दे की सागवान की कई प्रकार की किस्म होती है और यह कहा कहा पाया जाता है इसके बारे मे पूरी तरह से विश्लेषण करेंगे।

सागवान की किस्म, और सबसे अधिक कहा होता है  

  • Barma Teak – यह बर्मा और म्यांमार के जंगलों मे सबसे अधिक पाया जाता है और यह सुनहरे रंग की लकड़ी होती है जिसमे प्राकर्तिक रूप से रेशे होते है जो बहुत ही सुंदर दिखाई देती है।
  • Indonation Teak – इसे एशियन सागवान भी कहते है, यह मुख्य रूप से इंडोनेशियन है या हल्के भूरे रंग की होती है।
  • African Teak – इस सागवान का रंग लाल होता है इसका उपयोग अफ्रीका मे धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन मे किया जाता है।
  • Philippine Teak- यह यह फ़िलिपींस द्वीप पर विशेष रूप से पाया जाने वाला सागवान है यह बहुत ही बहुमूल्य और उपयोगी होता है।

और भी कई प्रकार का सागवान की किस्म होती है लेकिन उनका इतना महत्व नहीं होता है जितना इनका होता है इनमे से सबसे अच्छी किस्म बर्मा की ही होती है। भारत मे सबसे अधिक सागवान के जंगल मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, और महाराष्ट्र मे पाया जाता है इसके अलावा अमेरिका, फ़िलिपींस, अफ्रीका, बर्मा, म्यांमार इंडोनेशिया मे भी पाया जाता है।

सागवान (Teak) के उपयोग

  • सागवान का सर्वाधिक उपयोग विभिन प्रकार के फर्निचर बनाने मे किया जाता है।
  • यह मेज, कुर्सी, अलमारी इत्यादि समान मे इसका उपयोग किया जाता है।
  • सागवान की लकड़ी का व्यापारिक रूप से बहुत उपयोग किया जाता है।
  • कुछ देशों मे सागवान का इशतेमाल धार्मिक आयोजनों मे भी किया जाता है।
  • सागवान बहुत ही महंगा पेड़ है इसका उपयोग देश विदेशों मे डेकोरेसन करने मे सबसे ज्यादा उपयोगी है।

सागवान एक मुनाफेदार किस्म है क्यूंकी इसके लिए हमे 12 से 15 वर्ष तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है तब जा के इससे कमाई का स्रोत दिखाई देता है इसलिए इसकी खेती करे तो भी ध्यान दे की हम इसके लिए  हम तैयार है या नहीं क्यूंकी इसमे हमे कानून की सहायता की भी जरूरत पड़ती है।

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