बरगद का वृक्ष की धार्मिक मान्यता

बरगद पेड़ की कुछ विशेषता के बारे मे शायद आप पहले नहीं जानते होंगे।

बरगद के वृक्ष को वट वृक्ष या बढ़ भी कहा जाता है और इसकी कुछ खास विशेषता यह है की यह अपनी लंबाई की वजह से वृक्षों की प्रजाति मे अपनी एक अलग पहचान बनी हुई है, अगर आपने बरगद के वृक्ष को देखा है तो आज हम इसकी बारे मै कुछ विशेष चर्चा करेंगे ! हमारे आस पास इसे पेड़ पौधे लगाना फायदेमंद रहता हे जो बहुत ज्यादा मात्रा मे आक्सिजन का उत्सर्जन करता हो और वातावरण को शुद्ध रखने मे मददग़ार हो क्यूंकी यह कार्बनडाईऑक्साइड की उपस्थिति को कम भी करता हे और यह कई प्रकार की बीमारिओ से लड़ने मे भी अपना योगदान देता है, इसलिए इस मामले मे बरगद बहुत लोकप्रिय और औषधीय गुणों से भरपूर है।

बनावट और अंगों का विवरण

बरगद का तना बहुत ही मजबूत या कह सकते है बहुत ही कठोर किस्म का होता है, और इसकी जड़े शाखाओ से निकलकर हवा मे लटकती रहती है, और यह इस प्रकार बढ़ती रहती है की पृथ्वी की सतह के अंदर घुस के एक मजबूत पिलर अर्थात स्तम्भ का रूप ले लेती है, इस पेड़ की सबसे विचित्र बात क्या है की इसका बीज तो बिल्कुल छोटा सा होता है लेकिन इसमे इतनी शक्ति होती है की यह एक विशाल पेड़ को जन्म देता है।

एशिया मे कुछ धार्मिक एवं पौराणिक मान्यताओ के अनुसार इसका वर्णन भी किया जाता है लेकिन आज हम इनकी बात न करते हुए इसकी रूप रेखा की बात करेंगे इसकी लंबाई औसतन 30 से 40 मीटर तक हो सकती है इसके पत्ते आकार मे देखा जाए तो अंडे की तरह दिखता हे और जब इनको इनकी डालियों से तोड़ा जाता है तो इनमे से दूध जैसा अम्ल निकलता है जिसे हम लेटेक्स भी कहते है।

इस पर लगने वाला फल छोटा सा गोल गोल ओर लाल रंग का होता है और इसके अंदर बीज पाया जाता है, आज तक हम इंसान हर चीज मे वर्ल्ड रिकार्ड बना रहे है लेकिन कोलकाता मे एक गार्डन मे इस वृक्ष की उम्र 250 साल की पाई गई है और यह इस प्रकार से फेल गया है की हमे यह जंगल की तरह दिखाई देता है देखा जाए तो यह दुनिया भर के पक्षियों का रहने का पूरा का पूरा जंगल है, इस वृक्ष की जड़ों, पत्तों, और फलों का इस्तेमाल चिकित्सा के रूप मे भी किया जाता हे ।

प्रजातिया

इस वृक्ष के कुछ प्रकार भी हे जेसे फिकुस मीक्रॉकरपा, रबर फिग, फिकुस मक्रोफीला, फिकुस रुबीगिनोसा, फिकुस औरेआ, फिकुस सीटरीफोलिया, फिकुस टिंकटोरिया शामिल है।

धार्मिक महत्व बरगद का

हिन्दू धर्म के अनुसार इनकी शाखाओ पर भगवान शिव का निवास होता है, जड़ों मे भगवान ब्रम्हा का निवास है, और इसकी छाल मे भगवान विष्णु विराजमान है, तो देखा जाए तो हिन्दू धर्म मे इसकी पवित्रता का बहुत महत्व होता है, इसके अनुसार भारत का राष्ट्रीय पेड़ भी बरगद का पेड़ है। ओर इसके कुछ तथ्यों के बारे मे भी जानते है जो शायद आपको पता नहीं हो जेसे-

  • भगवान कृष्ण को इनके पत्तों पर सोते हुए दिखाया जाता है!
  • एक पूर्णिमा एसी भी आती हे साल मे जिसे हम वट पूर्णिमा भी कहते है!
  • आयुर्वेदा मे इसके पत्तों, छाल, फलों का इस्तेमाल भी औषदी बनाने मे किया जाता है!
  • यह हमारे इकोसिस्टम को संतुलित बनाने मे बहुत योगदान रखते है!

भारत मे विभिन राज्यों के अनुसार बरगद का नाम

बरगद के पेड़ के हम भारत मे अलग अलग राज्यों मे अलग अलग नाम से जाना जाता है तो चलिए जानते है उन नामों के बारे मे जैसे, सबसे पहले बात करते ही गुजरात की तो गुजरात मे वड, वडलों, और वोर है, हिन्दी मे बरगद, बरः,और वटवृक्ष है, बंगाली मे बर, बोट, और गाछ है, और भी प्रांतों के अनुसार नाम है और अगर उनका विवरण करना शुरू किया तो आप भी तिलमिला जाएंगे।

आप सब जानते है की पेड़ पौधों का हम इंसान के जीवन मे कितना महत्व है जो गर्मी मे छाया देते है अपने सीजन के अनुसार हमे फलों का आनंद देते है जीने के लिए आक्सिजन ओर खाना और बुढ़ापे मे सहारा और मरने के बाद हमारे शव को जलाने मे लकड़िया भी दे देते है अपना सबकुछ हमपर न्योछावर कर देते है और हम इन्हे बदले मे क्या देते हमारे निजी स्वार्थ के कारण इनको ही समाप्त कर देते है तो अगर आप एक पेड़ काटते है तो दो पेड़ लगाने की क्षमता भी रखे क्यूंकी पेड़ हे तो पृथ्वी पर जीवन है, नहीं तो कुछ भी नहीं है।

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