देवदार पेड़ के फायदे एवं उपयोग “सोंदर्यता से भरे इसके जंगल”

प्रकर्ति की खूबसूरती मे चार चाँद लगाने वाले इस वृक्ष को हम देवदार (Deodar) कहते है, यह पहाड़ों का एक अभिनय हिस्सा है जो ज्यादातर पहाड़ी क्षेत्रों मे पाया जाता है ओर यह एक बहुत लुभावनीय पेड़ है जिसके बारे मे आज हम सम्पूर्ण रूप से इसकी विशेषता के बारे मे बात करेंगे और जानेंगे क्या है देवदार वृक्ष।

देवदार का पेड़

यह सीधे तने वाले एक शंकुदार पेड़ है यह सदेव हरा भरा और अनेक वर्षों तक जीवित रहने वाला पेड़ है यह बहुत ही लंबा और तना इसका बहुत मोटा होता है ओर इस पर लगने वाले इसके पत्ते हरे रंग के मुलायम ओर लंबे होते है यह एक एसा पेड़ है जिसका सदियों से आयुर्वेद मे बहुत ही खास भूमिका निभा रहा है।

यह पेड़ 3 से 7 फुट तक फेला हुआ होता है जिसकी ऊंचाई 60 से 70 फुट तक होती है और इसका जीवनकाल 200 वर्ष से लेकर 250 वर्ष की होती है।

देवदार की पत्तिया

इसकी पत्तिया लंबी, पतली और वृक्ष के शीर्ष भाग की ओर बढ़ती है। ये पत्तिया हरे रंग की होती है और इसकी आकृति लंबी और चिकनी होती है इसकी मुख्य विशेषता पेड़ की पहचान करने मे काम आता है।

देवदार के फूल

यह बहुत ही बड़े और आकर्षक होते है ये फूल पौधों के ढेरों पर बनते है और देवदार के पेड़ की सुंदरता को और भी बड़ा देते है इनमे सुंदर रंगों की झिल्लिया होती है जैसे पीला, लाल, हरा और सुगंध मे यह मधुर होते है और देवदार के फूल का आकार ओर रंग उनकी प्रजाति के आधार पर अलग अलग हो सकते है।  

देवदार की लकड़ी

यह लकड़ी बहुत मूल्यवान होती है इसका उपयोग विभिन्न उद्योगों मे किया जाता है यह बहुत स्थायी और रखने मे सुविधाजनक होती है। यह गहरे भूरे रंग की होती है जो दिखने मे बहुत आकर्षित करती है।

  1. इनकी लकड़ी का उपयोग घरों की नीव और लकड़ी की सामग्री बनाने मे किया जाता है।
  2. बोटनिकल उद्योग मे इसका उपयोग किया जाता है।
  3. तरह तरह के डिजाइन वाले फर्निचर बनाने मे इसका काम मे लिया जाता है।
  4. इस लकड़ी का इस्तेमाल औषधि बनाने मे किया जाता है।

देवदार पेड़ के फायदे

इस पेड़ के पत्ते, छाल, फल, आदि का आयुर्वेदिक औषधि मे बहुत लाभदायक है, देवदार के पेड़ के अनेक लाभ है जो की कुछ इस प्रकार से है-

  1. सिर से जुड़ी समस्याओ के उपचार मे राहत दिलाता है ।
  2. यह आँखों से संबंधित रोगों मे फायदेमंद है।
  3. कान दर्द से राहत दिलाता है।
  4. नाक से अगर खून बहता है तो उसमे यह बहुत लाभकारी है।
  5. सर्दी जुखाम जेसी बीमारी मे सहायक है।
  6. पेट से संबंधित रोगों के उपचार मे इसका उपयोग किया जाता है।
  7. यह मधुमेह रोग को नियंत्रण करता है।
  8. जख्म या घाव को ठीक करने मे बहुत उपयोगी है।
  9. बुखार मे इसके उपचार से बुखार को खत्म किया जा सकता है।

देवदार लकड़ी कीमत

देवदार की लकड़ी वेसे तो कई प्रकार की होती है और जिनकी कीमत भी अलग अलग प्रकार की किस्म के आधार पर उनका मूल्य ते होता है लेकिन जो भारत मे मे पाई जाती है उसकी औसत कीमत लगभग 500 रुपए से लेके 3000 रुपए प्रति घन फुट होती है।

सबसे अधिक देवदार कहाँ पाया जाता है ?

देवदार पहाड़ी क्षेत्रों मे सबसे अधिक मात्रा मे पाया जाता है लेकिन उसमे भी कुछ जलवायु और वातावरण पर निर्भर करता है- यह पूर्वी अफगानिस्तान, उत्तरी पाकिस्तान, तिब्बत, पश्चिमी नेपाल और भारत मे जम्मू&कश्मीर, उत्तराखंड, हिमालय, और हिमाचल प्रदेश मे सर्वाधिक मात्रा मे पाया जाता है।

इसके अलावा यह चीन, न्यूजीलेंड, आयरलेन्ड, स्पेन, इटली, ग्रीस, तुर्की, ऑस्ट्रेलिया मे भी यह पेड़ पाया जाता है।

देवदार की किस्म

वैज्ञानिक तरीके की संकर किस्म

  • Albospica- यह चांदी रंग की पत्तियों और धीमी गति से बढ़ने वाली किस्मों मे एक है, यह व्हाइट टिपड के नाम से भी जाना जाता है।
  • Aurea- यह सुनहरे, पीले पत्ते वाले सीधे पौधे होते है, लेकिन कम सूर्य का प्रकाश मिलने पर इनके पत्तों का रंग वैसा नहीं होता है और यह गीले क्षेत्रों मे जैसे तालाब, या नदियों के किनारों पे पाए जाते है।
  • Bush’s Electra’- यह हिमालयन Cedar या Bush’s Electra’ के नाम से भी पहचाना जाता है, यह माध्यम आकार का बहुत ही सुंदर पेड़ होता है यह 15 फुट फैलाव के साथ 30 फुट ऊंचाई तक बढ़ता है।
  • Eisregen- अपनी कठोरता के लिए यह विशेष रूप से जाना जाता है यह बहुत लोकप्रिय किस्मों मे से एक है इनके पत्ते नीले हरे रंग के होते है यह साल भर मे लगभग डेढ़ फुट तक विकसित होता है।  
  • Devinely- यह आधी बौनी Cedar की किस्मों मे एक है पूरी तरह से परिपक्व होने के बाद यह शीर्ष पर सपाट होता है इसका जीवनकाल 50 से 60 वर्षों का होता है।
  • Feelin ‘Blue’- यह शंकुधारी बौना सदाबहार किस्म मे एक है यह प्रति वर्ष लगभग 6 से 8 इंच विकसित होता है अर्थात वृद्धि करता है यह हिमालय का मूलनिवासी और जल निकास वाली जमीन मे पनपता है।
  • Golden Deodar- यह सुंदर नए पीले रंग के पत्तों और सदाबहार किस्म है इसकी शाखाये घनी होती है जिस वजह से यह विशाल भू-दृश्यों मे सर्वश्रेष्ठ नमूना है।
  • Karl Fuchs- यह सिरों पर झुक जाता है इसकी सालाना वृद्धि दार 6 से 8 इंच की होती है इसे 10 फुट ऊंचा और 6 फुट चोड़ा होने मे एक दशक का समय लगता है।

सच्चे देवदार की किस्म

  • Deodar- यह सबसे प्रचलित देवदार की किस्म है भारत के हिमालय के मूल निवासी होते है और ज्यादा वर्ष वाले क्षेत्रों मे यह पनपते है इनकी पहचान बहुत आसान होती है यह बहुत ही बड़े बड़े होते है।
  • Atlas- यह सबसे तेजी से विकसित होने वाली किस्म है जो की साल भर मे 2 फुट तक बढ़ जाती है, अटलांटिक देवदार के रूप मे भी इन्हे जाना जाता है यह 100 फुट से अधिक ऊंचाई तक वृद्धि कर सकते है और इसका नामकरण एटलस पर्वत के आधार पर किया गया है।
  • Cedar of Lebanon- यह Middle East की प्रचलित किस्म है आमतोर पर यह बड़े बड़े बग़ीचों मे देखे जा सकते है इसकी नीली नीली हरी सुईया ओर कड़ी शाखाये होती है।
  • Silver Mist- यह धीमी गति से विकसित होने वाली बौने देवदार वृक्ष की किस्म है जो की 10 साल मे केवल 4 फुट तक बढ़ती है।

बौनी किस्म

  • Golden Cascade- यह छोटा फैलाव वाला बौना और सदाबहार शंकु पेड़ है यह मुख्यतः ऑस्ट्रेलिया मे पाए जाते है इनके पत्ते सुनहरे रंग के होते है।
  • Mylor- यह ऑस्ट्रेलिया मे पाए जाने वाले घने किस्म के होते है इनका फैलाव लगभग 4 फुट तक होता है यह प्रति वर्ष 2 फुट तक विकसित होते है।
  • Snow Sprite- यह अपने सुंदर पत्तियों के लिए प्रसिद्ध होते है यह प्रतिवर्ष 3 फुट वृद्धि करते है यह हल्की छाया और पूर्ण सूर्य के परक्ष मे यह पनपते है।

सबसे लंबा और पुराना देवदार का पेड़

देवदार

देहरादून से लगभग 90 किलोमीटेर दूर चकराता मे कोटी कनासर मे देवदार का विशाल जंगल है जहां भारत देश का सबसे पुराना पेड़ है, यह वृक्ष 400 वर्ष पुराना है और सबसे ऊंचा पेड़ पाया गया है।

अन्य भाषाओं में देवदार के पेड़ के नाम 

  • अंग्रेजी: Deodar Cedar
  • हिन्दी: देवदार
  • संस्कृत: देवदारु
  • कश्मीर: देवजार
  • नेपाली: सीमाल
  • फारसी: देऊदर
  • उर्दू: देओ दरख्त
  • अरबी: अल अर्ज

चीड़ और देवदार मे क्या अंतर है ?

  • साधारणतः चीड़ और देवदार दो अलग अलग प्रकार के पेड़ है और इनमे बहुत ज्यादा फर्क होता है, वनस्पति वर्ग मे चीड़ पाइनस जीनस के वृक्षों का हिस्सा होता है वही देवदार सेडरूस जीनस का हिस्सा होता है।
  • चीड़ की पत्तिया चोटी होती है उसके विपरीत देवदार ही पत्तिया बड़ी और फैली हुई होती है।
  • वेसे ही चीड़ के फूल भी छोटे होते है और देवदार के फूल बड़े और आकर्षक होते है।
  • चीड़ के पेड़ छोटे होते है ऊंचाई मे जबकि देवदार के पेड़ ऊंचाई मे बहुत ही विशाल होते है हालांकि किस्मों के आदहर पर उनकी बौनी श्रेणी भी होती है लेकिन हम साधारण देवदार और चीड़ के बीच का अंतर ज्ञात कर रहे है।

देवदार का तेल क्या काम आता है ?

इसके तेल मे एंटीसेप्टिक प्रॉपर्टिज होती है इसका प्रयोग त्वचा रोग, घाव को भरने मे किया जाता है, इसका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा मे किया जाता है जो शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने मे किया जाता है। त्वचा के मॉइश्चराइजर और उसकी देखभाल करने मे भी किया जाता है इसके अलावा इसका उपयोग शैम्पू, लोशन और साबुन मे किया जाता है।

देवदार के लिए अच्छा तापमान और जलवायु

ज्यादातर देवदार के वृक्ष ठंडे क्षेत्रों मे पाए जाते इसलिए इसके लिए सबसे अच्छे जलवायु ठंडी होती है क्यूंकी कुछ खोज के दौरान यह पता चला है की तापमान के निरंतर बढ़ने से इन वृक्षों मे कमी होती हुई नजर आरही है।

देवदार बीज के फायदे

  1. बढ़ती उम्र के साथ साथ आँखों की रोशनी कम पड़ती जाती है लेकिन देवदार के बीज मे बीटा केरोटिन मोजूद होता है जो हमारी आँखों की रोशनी को तेज करने मे मदद करता है।
  2. इन बीजों मे ग्लूकोस और बुरे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने की क्षमता होती है इसलिए यह मधुमेह रोग मे काफी लाभदायक होता है।
  3. इनमे Vitamin E और K के साथ साथ मगनेसिउम होता है जो की ब्लड प्रेसर को नियंत्रण करता है जिस वजह से दिल का दोरा Heart attack को कम करता है।
  4. इन बीजों मे कैल्सीअम होता है जो हड्डीया मजबूत करने मे फायदेमंद होता है।

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