जैतून के तेल के गुणकारी फायदे एवं उपयोग , स्वास्थ्य के लिए गोल्डन एलिक्सिर

दुनियाभर मे जैतून (Olive) तेल की बढ़ती मांग से इसकी खेती करना काफी फायदेमंद साबित हो रहा है जो प्रीमियम तेल की श्रेणी मे इसका स्थान सर्वोपरि है, जैतून का इस्तेमाल खाने के साथ साथ अन्य प्रकार की दवाइयों के रूप मे किया जा रहा है और अलग अलग प्रकार के वातावरण मे इसकी खेती के किए गए प्रयोग भी सफल रहे है अर्थात जैतून के पेड़ की खेती को आप हर प्रकार के वातावरण मे कर सकते है। इसलिए इस बात को ध्यान मे रखते हुए किसान भाई इससे अच्छा मुनाफा कमा सकते है हमारे देश के राजस्थान राज्य के जैतून की खेती को बढ़ावा देने के काम मे जुड़े विशेषज्ञों का कहना है की तेल की निर्यात के मांग के अलावा भी घरेलू उपयोग मे भी इसकी मांग बढ़ रही है जैतून को अंग्रेजी मे (Olive) भी कहते है।

जैतून की खेती के लिए जलवायु और तापमान कैसा होना चाहिए ?

यह एक सदाबहार वृक्ष है लेकिन अगर बात खेती की हो रही है तो हमे इसके तापमान का विशेष रूप से ध्यान रखना होगा क्यूंकी इससे हमे ज्यादा से ज्यादा पैदावर की जरूरत होती है इसलिए यह पौधा कम से कम 10 डिग्री और अत्यधिक 45 डिग्री तापमान सहन कर सकता है, इसलिए इसको 20 डिग्री औसत तापमान की जरूरत होती है और इसे सालभर मे 100 सेंटीमीटर वर्ष की आवश्यकता होती है लेकिन अगर जहां वर्षा की कमी हो जाती है या आवश्यकता अनुसार बारिश नहीं होती है वहाँ आप अन्य प्रकार से सिंचाई जरूर करले।

जैतून की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

सबसे पहले ध्यान रहे की जमीन अच्छे जल निकास वाली होनी चाहिए क्यूंकी आप सब जानते है की जलभराव अधिक होने की वजह से पेड़ ओर पौधों को नुकसान हो सकता है या फिर अच्छे से देखभाल नहीं की गई तो पेड़ों मे सड़न हो जाती है। जैतून के पेड़ को अलग अलग प्रकार की मिट्टी मे भी उगाया जा सकता है जिस जमीन का PH मान 6.5 से 8 तक का होता है वह जमीन इसके लिए उत्तम होती है यह रेतीली मिट्टी, दोमट मिट्टी, चिकनी मिट्टी और विभिन प्रकार की मिट्टी मे भी यह पेड़ विकसित हो सकता है।

जैतून के पौधरोपन का उचित समय और तरीका

सामान्यतः इसके लिए सबसे उचित समय जुलाई से अगस्त माह के बीच का होता है लेकिन जहां सिंचाई की व्यवस्था अच्छी हो वहाँ आप इसका पौधारोपण दिसम्बर से जनवरी माह मे भी कर सकते है ध्यान रहे की उस समय कोहरा नहीं पड़ रहा हो क्यूंकी ज्यादा कोहरा इस पौधे के लिए नुकसानदायक हो सकता है और पौधा लगने का सही तरीका पौधे से पौधे की दूरी आप 6 से 6 फुट अथवा 8 से 8 फुट तक रखे।

जैतून के पेड़ पर फल लगने का समय और कितने फल लगते है?

आमतोर पर जैतून के पेड़ को उगाने के बाद 3 से 5 साल का समय लगता है इसके ऊपर फल लगने मे उसके बाद उसे पकने का समय 4 से 6 माह का होता है, हालांकि यह उसकी किस्मों पर और पर्यावरण पर भी निर्भर करता है और इसके फल पहले हरे रंग के होते है उसके बाद पकने के बाद काले रंग के हो जाते है और जो हरे किस्म वाले फल होते है वह थोड़े साफ हरे रंग के हो जाते है, जब गर्मी के साथ साथ इस पर फल लगने शुरू होते है और इसका हार्विस्ट अर्थात कटाई का समय ऑक्टोबर से दिसम्बर महीने मे की जाती है।

एक पेड़ के परिपक्व होने के बाद हर साल जैतून का पेड़ 15 से 20 किलोग्राम फल देता है और इन फलों से तेल को निकाला जाता है जो की लगभग 1 लीटर तेल प्राप्त करने के लिए 5 किलोग्राम जैतून के फल की आवश्यकता होती है जिस वजह से यह प्रीमियम तेल की श्रेणी मे सबसे पहले स्थान पर आता है और इसलिए यह तेल महंगा होता है।  

जैतून

जैतून का पेड़

यह पेड़ छोटा और माध्यम आकार का होता है हालांकि वो निर्भर करता है की वह पेड़ किस प्रकार की किस्म का है सामान्यतः जैतून के पेड़ की ऊंचाई 20 से 40 फुट तक की होती है और इसका जीवनकाल 500 वर्षों तक का होता है या फिर इससे ज्यादा भी हो सकता है यह निर्भर करता है उसके किस्म और स्थान और वातावरण के आधार पर और यह पेड़ बहुत लंबे समय तक फल देता है।

जैतून की पत्तियों– का आकार लगभग 3 से 5 सेंटीमीटर का होता है और 1 से 2 सेंटीमीटर चोड़ा होता है यह हरे रंग की होती है और चिकनी होती है और दिखने मे फली के आकार जैसी होती है जो मुख्य भाग से नुकीली और बीच मे थोड़ी चोड़ी और अग्रभाग मे गोल होती है।

जैतून के फल- जिसे “जैतून” भी कहते है यह फल छोटा और गोलाकार होता है किस्म के आधार पर यह विभिन्न रंगों का होता है जिसमे मुख्य होता है हरे और काले रंग के जैतून जिनकी विशेष प्रकार की विशेषता होती है, स्वाद मे यह कडवे होते है और इनके अंदर इनके बीज पाए जाते है जिसे हम आम भाषा मे गुठली भी कह सकते है।

( Olive Nutristion Fact Amount per 100 Grams )जैतून के फल मे पाए जाने वाले पोषक तत्व

मगनेसिउम 1%, कैल्सीअम 8%, आइरन 18%, प्रोटीन 0.8 ग्राम, और विटामिन C पाया जाता है इसके अलावा फाइबर, कार्बोहाइड्रट, पॉटेशियम, सोडीअम, फैट और कलोरीस पाई जाती है जो की इंसानी स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है।

सबसे अधिक जैतून कहाँ होता है ?

जैतून के पेड़ और जैतून का उत्पादन मुख्य रूप से इटली, स्पेन, यूनान, तुर्की, और मोरक्को है यहाँ पर जैतून के फल का उपयोग प्रमुख व्यंजनों के रूप मे भी किया जाता है इसके अलावा व्यापारिक रूप से ऑस्ट्रेलिया, अर्जेन्टीना, अमेरिका मे भी इसकी खेती की जाती है और अब धीरे धीरे भारत मे भी इसकी खेती प्रचलित होती जा रही है, जिसमे प्रमुख राज्य शामिल है जैसे- राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल भी शामिल है।

जैतून की किस्म ( Olive Variety )

विश्वभर मे जैतून की कई प्रकार की किस्म होती है यह कुछ वेरायटी के उदाहरण है जो विभिन्न देशों के आधार पर है:-

  1. माँजनीलों- यह उच्च गुणवता वाले जैतून तेल के लिए जाना जाता है यह मुख्य रूप से स्पेन मे उगाया जाता है।
  2. कालामाटा- गहरे बेंगनी और काले रंग की विशेषता के रूप मे जाने जाते यह मुख्य रूप से ग्रीस मे उगाए जाते है।
  3. अरबेक्वीना- यह केटलोनिया, स्पेन मे उगाई जाने वाली किस्म है यह जैतून छोटे छोटे होते है और इसका उपयोग अच्छी प्रकार के तेल बनाने मे किया जाता है।
  4. निसुआज- ये छोटे और गहरे काले रंग के जैतून होते है यह फ़्रांस मे उगाए जाने वाली किस्म होती है यह मुख्य रूप से सलाद के रूप मे उपयोग ली जाने वाली वेरायटी है।
  5. पिशोंलिन– यह छोटे आकार के और चमकदार हरे रंग के होते है और फ्रेंच की यह किस्म है।
  6. लीगुरियन- इटली के लिगुरिया क्षेत्र मे उगाए जाने की वजह से इस किस्म को लीगुरियन कहा जाता है इनके जैतून का उपयोग पारंपरिक रूप से लीगुरियन जैतून तेल बनाने और पेस्टों सास बनाने मे किया जाता है।
  7. कास्टेलवेत्रानो- यह बड़े आकार के और चमकदार हरे रंग के होते है यह सिसिली की प्रमुख प्रसिद्ध किस्म है और यह हल्के मखन के स्वाद के रूप मे सराहनीय है।

और भी कई प्रकार की किसमे होती है ओ अपनी एक अलग प्रकार की विशेषता के आधार पर जानी जाती है जिनका मुख्य कारण होता है वातावरण और पर्यावरण का विभिन होना और अलग अलग क्षेत्र के अनुसार अलग अलग प्रकार की किसमे होती है।

जैतून खाने के फायदे

  • इसमे मोनोसैचरैड होता है जो ह्रदय को स्वास्थ रखने मे मदद करता है और कॉलेस्ट्रोल को नियंत्रण रखता है।
  • इसमे कुछ इसे एनटीऑक्सीडेंट्स होती है जो कैंसर जैसे रोगों की रोकथाम करने मे मदद करता है।
  • यह वजन को संतुलित रखने मे काफी फायदेमंद होता है।
  • जैतून मे प्रोटीन और कुछ खास प्रकार के पोषक तत्व होते है जो मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने मे मदद करते है।
  • जैतून मे प्राकर्तिक रूप से तेल होता है जो त्वचा को कोमल, मुलायम रखने मे मदद करता है।
  • इसमे कैल्सीअम होने की वजह से यह हड्डियों को मजबूत रखता है।

जैतून तेल के फायदे

  • जैतून के तेल का उचित मात्रा मे रोज अपने खाने मे उपयोग लेने से छाती के कैंसर से रोकथाम मिल सकती है इसके अलावा इसके तेल से रोजाना 5 मिनट तक छाती पर मसाज करने से महिलाओ की छाती स्वास्थ एवं सूडोल होती है।
  • यह डायबिटीज रोगी के रक्त मे शुगर लेवल को संतुलित रखता है और रक्त मे होने वाली चर्बी को खतम करता है जिस वजह से यह मधुमेह रोग को नियंत्रण रखने मे बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • जैतून का तेल ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित रखने मे फायदेमंद है।
  • बाल झड़ने जेसी समस्या मे निरंतर और विधिवत रूप से जैतून के तेल का उपयोग करने से बालों को झड़ने से बचाया जा सकता है।
  • कई प्रकार के बड़े बड़े रोगों और छोटी छोटी समस्याओ मे जैतून का तेल फायदेमंद होता है।

इसलिए जैतून का तेल महंगा होता है और भारत मे भी इसकी डिमांड बढ़ती जारही है और किसानों का जैतून की खेती मे भी आकर्षण हो रहा है जो की किसानों के लिए एक अच्छी ओर फायदेमंद खेती हो सकती है।

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