इमली का खट्टा मिट्ठा स्वाद: दुनिया का सबसे चटपटा अनुभव।

सदियों से फल, इंसानों के जीवन मे बहुमूल्य रहे है, चाहे उनका उपयोग भूख मिटाने के लिए किया हो या उनसे अनेक प्रकार के तत्व बनने मे उपयोग किया हो। हर फल का अपना स्वाद होता है और अपना एक अलग प्रकार का उपयोग होता है, अगर बात स्वाद की आई है तो हम लोग इमली को कैसे भूल सकते है जो अपने स्वाद के लिए ही मुख्यतः जानी जाती है इसको अंग्रेजी मे Tamarind कहा जाता है

आज हम इमली की बात करेंगे जिसमे शामिल होंगे कुछ इस प्रकार के तथ्य:-

  1. इमली को कैसे उगाया जाता है ?
  2. इस पेड़ की बनावट का विवरण
  3. इसका उत्पादन कहा कहा किया जाता है
  4. धार्मिक मान्यता के आधार पर इमली का महत्व
  5. इमली का फल  

इसके पेड़ को उगाने से पहले हमे ये जानना बहुत जरूरी होगा की उसके लिए किस प्रकार की जमीन अर्थात मिट्टी का चाहिए और किस प्रकार का मौसम होना जरूरी है।

इस पेड़ को लगाने के लिए लाल, दोमट और काली मिट्टी उपजाऊ होती है, और जिसका PH मान 6.5 से 7.5 तक होना चाहिए। अगर आपको नहीं पता “PH क्या होता है” तो साधारण सी भाषा मे आपको बता देते है की जमीन की स्वस्थता मापने का पैमाना होता है।

यह गर्म जलवायु वाला पेड़ है इसके लिए 25 से 35 डिग्री के तापमान की आवश्यकता होती है, गर्मी के मौसम अथवा मार्च से अप्रैल के महीने मे उगाया जाता है या फिर इसकी खेती की प्रक्रिया प्रारंभ की जाती है।

इसको उगाने के लिए जब इमली पक जाती है तो इसके बीजों को धूप मे सुखाने के लिए रखा जाता है और उसके बाद इन बीजों को पानी मे धोकर इनके ऊपर की जिली को निकालकर इनका उपयोग उगाने के लिए किया जाता है।

इमली के पेड़ की बनावट का विवरण

इमली एक विशाल वृक्ष है जिसका तना मोटा ओर शक्त होता है इसकी जड़े भी बहुत मजबूत रूप इस वृक्ष को संभालने का काम करती है, इसकी टहनी वृक्ष पर चारों तरफ फेली हुई होती है इमली के पत्ते छोटे छोटे और हरे रंग के होते है इनका स्वाद भी खट्टा होता है ।

इस पेड़ कि ऊंचाई तकरीबन 100 फुट तक होती है और यह पेड़ 200 वर्ष तक जीवित रह सकता है।

इमली का उत्पादन कहा कहा किया जाता है

इमली एक जंगली पेड़ है और यह अफ्रीका का मूल निवासी है लेकिन इसका उत्पादन विश्वभर मे किया जाता है। अमरीका, अफ्रीका, थायलैंड, श्रीलंका, म्यांमार, मलेशिया, बांग्लादेश, और भारत मे बहुत बड़े पैमाने पर इसकी खेती की जाती है। भारत मे इसके मुख्य उत्पादक राज्य कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश और केरल मे की जाती है और बस्तर एशिया की सबसे बड़ी इमली मंडी है।

धार्मिक मान्यता के आधार पर इमली का महत्व

एसा माना जाता है की इमली के पेड़ पर बुरी आत्माओ का निवास होता है, जिस वजह से रात के समय मे इस पेड़ के नीचे सोना नुक्सानदायी होता है, इससे इंसान बीमार होजाता है और इसकी एक वजह यह भी है की इस पेड़ से आक्सिजन भी कम मात्रा मे निकलती है।

इमली का फल

इमली का फल स्वाद मे खट्टा मिट्ठा होता है, और यह लाल, भूरे रंग का होता है, इस फल पर भूरे रंग का कवच होता है, इसको फोड़ कर फल को बाहर निकालकर इसको खाया जाता है और इसकी गुठली भी फल के अंदर होती है ओर यही गुठली इस पेड़ का बीज भी होता है।

चिकित्सा के रूप मे इमली का महत्व

इसमे भरपूर मात्रा मे पॉटेशियम ओर कैरोटीन पाया जाता है जो हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है और खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है। इमली का उपयोग पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और पेट से संबधित समस्याओ को दूर रखने मे समर्थ है।

यह रक्त के प्रवाह को बढ़ती है जिसकी वजह से इंसानों मे काम ईचा को बड़ावा देता है, और इमली से जिनका रक्त गाढ़ा होता है उनके सेवन करने से उनके रक्त मे पतलापंन आता है।

इमली मे पाए जाने वाले न्यूटरिसन

इसमे विटामिन A, C, K, E और B6 होता है इयाके अलावा इसमे मगनेसिउम, फास्फोरस, कैल्सीअम, प्रोटीन पाया जाता है।  

इमली खाने के फायदे

  • इसके रोजाना सेवन से त्वचा एकदम मुलायम रहती है।
  • वजन गटाने मे मददगार है।
  • इसके बीज रक्त मे शुगर को नियंत्रित करते है।
  • प्रीतिरोधक क्षमता(immune system) को बढ़ती है।
  • यह सिमोन कवालिटी ओर स्पर्म बढ़ाने मे मदद करती है।

इमली का उपयोग

  • कई प्रकार के मुरब्बे और अचार और चटनी बनाने मे इमली का उपयोग किया जाता है।
  • विशेष प्रकार के भोजन मे स्वाद को खट्टा या मिट्ठा करने मे भी काम आता है।
  • गर्भवती महिलाओ को इमली का सेवन अत्यधिक प्रिय होता है।
  • इससे कई प्रकार के खाने वाले व्यंजन भी बनाए जाते है।
  • इनके पेड़ की लकड़ियों का उपयोग फर्निचर बनाने मे भी किया जाता है।
  • इसका सॉस भी बनाया जाता है जो स्वाद मे बहुत प्रिय होता है।

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